हनुमान जी की आरती के बोल
आरती कीजै हनुमान लला की।दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥जाके बल से गिरिवर कांपे।रोग दोष जाके निकट न झांके॥ आन्जनी पुत्र महा बलदाई।संतन के प्रभु सदा सहाई॥देवन आये जो लाल लंका।सीता समेत वैद्य संदेशा॥ लंका जारी असुर संहारे।सियाराम जी के काज संवारे॥लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे।आनि संजीवन प्राण उबारे॥ पैठि पताल तोरि जम कारे।अहिरावण की भुजा उखारे॥बायें…